डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
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सभी लघु वर्ण
उड़त चपल मन,छुअत सकल जन;
कहत वचन मृदु, रहत मगन तन।
बहकत बहकत, बहकत मन तन;
चलत चतुर बन, पर फिसलत मन।
फँसत-फँसत तन, बच न सकत वह;
भगत-फिरत पर, पकड़ शिथिल पड़।
डरत रहत नित, दहल-दहल रह;
गिरत -परत चल, मन नहिं चह-चह।
कहत मिसिर अब, सुनहु मनुज जन;
कबहुँ बहक मत, चल बन प्रिय जन।
Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 12:11 PM
Nice
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Sachin dev
30-Jan-2023 05:19 PM
Well done
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