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डमरू घनाक्षरी




डमरू घनाक्षरी

8 8 8 8

सभी लघु वर्ण


उड़त चपल मन,छुअत सकल जन;

कहत वचन मृदु, रहत मगन तन।


बहकत बहकत, बहकत मन तन;

चलत चतुर बन, पर फिसलत मन।


फँसत-फँसत तन, बच न सकत वह;

भगत-फिरत पर, पकड़ शिथिल पड़।


डरत रहत नित, दहल-दहल रह;

गिरत -परत चल, मन नहिं चह-चह।


कहत मिसिर अब, सुनहु मनुज जन;

कबहुँ बहक मत, चल बन प्रिय जन।







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2 Comments

Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 12:11 PM

Nice

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Sachin dev

30-Jan-2023 05:19 PM

Well done

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